
Last Updated on January 14, 2021 by Admin
उत्तर प्रदेश मृतक संघ की शुरुआत किसने किया ?
उत्तर प्रदेश अस्सीसिएशन ऑफ़ डेड पीपल यानी उत्तर प्रदेश मृतक संघ को उत्तरप्रदेश के आजमगढ़ में रहने वाले लाल बिहारी जी ने शुरू किया था.
ये संघ क्यों बनाया गया था ?
हम सब ये तो जानते ही है के इंसान पैसे के लिए कुछ भी करता है. पैसे की वजह से लोग अपने रिष्तेदार और माँ बाप को छोड़ देते है. आजमगढ़ के अमिलो गांव के रहने वाले एक किसान थे जिनका नाम लाल बिहारी था, जो अपना सादारण सा जीवन गुज़ार रहे थे.
कुछ ज़रूरत महसूस होने पर बैंक से लोन लेने गए तो पता चला के सरकारी कागज़ के मुताबिक मरचुके है. जब लाल बिहारी जी ने छान बीन करने लगे तो पता चला के उनके खुद के चाचा ने पुश्तैनी ज़मीन के लिए सरकारी ऑफीसर को घूस देकर लाल बिहारी जी को मृतक घोषित करदिया.
अपने आपको जीवित साबित करने के लिए लाल बिहारी जी ने 18 साल सरकार से संघर्ष किया. इसी के चलते लाल बिहारी जी ने देखा के ऐसे और 100 लोग है जिन्हे सरकार के कागजों में मृतक घोषित करदिया था.
इतने लोग ज़िंदा रहते मृतक घोषित करने पर लाल बिहारी जी ने सोंचा के एक ऐसा संघ शुरू करना चाहिए जिस के चलते सारे लोगों को इंसाफ मिले.
सरकार के सात एक लम्बी लड़ाई लड़ने के बाद लाल बिहारी जी को साल 1994 में जीवित घोषित करदिया गया. साल 2003 में आईजी नोबेल पीस (Ig Nobel Peace) अवार्ड भी मिला था.
लाल बिहारी जी का जीवन :
लाल बिहारी जी का जन्म साल 1955 में हुआ था. लाल बिहारी जी के पिता का दिहांत उस वक़्त हुआ था जब ये कुछ महीनों के ही थे. बिहारी जी के माता ने दूसरी शादी करके आजमगढ़ के अमिलो को चले गए.
पढ़ाई न होने के कारन 22 साल के उम्र में बनारस के साड़ियों को बुनना सिख गए थे, अपने पिता के ज़मीन जो खलीलाबाद में है, उस पर अपना वर्कशॉप खोलना चाहा. उस वक़्त उनके पास इतने पैसे नहीं थे, सोंचा के बैंक से लोन लेकर व्यापार को शुरू करना चाहिए.
ज़मीन के कागज की तहकीक के लिए निकले तो, खलीलाबाद के अफसर ने बताया के बिहारी जी साल 1976 से सरकारी कागज़ों में मरचुके है. ज़मीन का पूरा हिस्सा उनके चाचा को चला गया.
बिहारी जी के चाचा ने खुद अफसर को घूस देकर मृतक घोषित करदिया. बिहारी जी सिस्टम से लड़ना चाहते थे के कैसे एक जीवित आदमी को मृतक घोषित करदिया.
लोगों ने मना किया के सिस्टम बहुत खराब है आप को इंसाफ नहीं मिलेगा. बिहारी जी ने अपनी लड़ाई नहीं छोड़ी. बिहारी जी ने कोर्ट के चक्कर काट के थक चुके थे.
फिर सोंचा के किसी भी तरह से अपना नाम किसी सरकारी रिपोर्ट में आजाये और वो ये साबित करसके के वो ज़िंदा है. इसी के चलते एक बच्चे का किडनाप किया, एक पुलिस अफसर को रिशवत दी.
लाल बिहारी जी की बाद किस्मती थी के किसी ने रिपोर्ट दर्ज नहीं किया. कुछ दिनों बाद पता चला के उनके जैसे 100 और लोग है, इन सारे लोगों को इंसाफ दिलाने के लिए उत्तर प्रदेश मृतक संघ को शुरू किया था.
आज भी इस संघ में देश भर से 20,000 लोग मौजूद है. इस कहानी के आधार पर 2021 जनुअरी में कागज़ नाम की मूवी को बनाया गया है.
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