ट्रैन का आविष्कार किसने किया – Who Invented Train ?

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Last Updated on August 25, 2020 by Admin

हम सब 2 पहिये वाले और चार पहिये वाली गाड़ियों में अक्सर सफर करते तो है, अगर लंबा सफर के लिए जाना है तो घड़ियाँ इतने आरामदायक नहीं होती. हम सुकून से खाना या पानी इन गाड़ियों नहीं कर सकते.

वही दूसरी तरफ ट्रैंस ऐसी सहूलत देती है जैसा के आप घर में हो. आप ट्रैन में घूम सकते है, अपने ज़रूरियात पूरी कर सकते है और खाना पानी आराम से खा सकते है.

इतने सहूलतें देने वाली ट्रैन को किसने अविष्कार किया था, कैसे ये सोंच उनके दिमाग में आयी थी ?

इतिहास (History) : 

खरीब 1550 में पटरियों पर डब्बों को जानवार (घोड़े) खिंच कर ले जाते थे जानवर से पहले इंसानो ने भी इन डिब्बों को खींचा करते थे.

 उस वक़्त पटरियों पर सिर्फ सामान एक जगह से दूसरी जगह लेजाने के लिए ही इस्तेमाल किया जाता था.  इन डिब्बों में इंसान सफर नहीं करते थे और पटरियां और डिब्बे सब लकड़ी के होते थे.

पटरियां लकड़ी के होने की वजह से ज़्यादा दिन नहीं चल पते थे इसलिये इसका एक दूसरा हल निकलना ज़रूरी था. स्टीम इंजन के अविष्कार के बाद खरीब 1760 साल में आयरन के पटरियों को बनाना शुरू किया गया था.

ट्रेनों में लोहे की भूमिका (Iron role in Trains) :

डिब्बे को पटरियों पर ही रहने के लिए ल शेप के आयरन पटरियों को बनाना शुरूकिया था. कुछ वक़्त बाद सिंगल फलांगड़ (Flanged) पहियों को बनाना शुरू किया. फलांगड़ पहियों में पहिये का एक किनारा निकला हुआ होता है.  

पहलीबार जब पटरियों को बनाया तो कास्ट आयरन को इस्तेमाल किया गया था. कास्ट आयरन ज़्यादा दिन तक चल नहीं पाता था. व्रात आयरन (Wrought iron) के आविष्कार के बाद इसे ही इस्तेमाल करना शुरू किया जो काफ़ी वक़्त तक चल जाता था.

1784 में स्टीम इंजन के अविष्कार के बाद स्टीम लोकोटिवेका आविष्कार हुवा था. ये इंजन बहुत वजनदार होने की वजह से उस वक़्त के पटरियाँ संभाल नहीं पा रही थी. 1812 में मैथ्यू मुर्राय  (Matthew Murray) ने कम वजन वाला स्टीम इंजन को बनाया जिसे सफलता हासिल हुई.

1814 से स्टीम इंजन में काफी सारे बदलाव किये गए और एक बेहतर स्टीम इंजन रूप में बनाया गया था.

इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव (Electric Locomotive ) : 

1837 में पहली बार गैल्वेनिक सेल्स को इस्तेमाल कर के इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव को बनाया गया था. बैटरीज इतना ज़्यादा पावर न देने के कारण ये सफलता हासिल नहीं कर पायी और रेलवे के करम चारी भी इस नयी तकनीक को पसंद नहीं किया. क्यों की ये उनकी नौकरियां खत्म करवा सकता था. 

वेर्नर वोन सीमेंस (Werner von Siemens) नाम के जर्मन इंजीनियर ने 1881 में पहलीबार रेल्स के द्वारा DC करंट के साथ इलेक्ट्रिक ट्रेन को शुरुवात की थी. साल 1891 में ओवरहेड इलेक्ट्रिसिटी के साथ ट्रैंस चलना शुरू हो गये थे. इसी साल में DC के बदले AC करंट के साथ ट्रैंस चलना शुरू हो गये थे.

1896 में ट्रेंस को चलने के लिए 3-फेज इलेक्ट्रिक मोटर्स को बनाया गया था. 1906 में डीजल से चलने वाले ट्रैंस को बनाया लेकिन ये उतने सफलता हासिल नहीं कर पाए.

1914 में  हेर्मन्न लेम्प (Hermann Lemp) नामी इंजीनियर ने पहली बार डीजल और इलेक्ट्रिक ट्रेंस को सफलता के साथ बनाया था.

भारत में ट्रेनें (Trains in India):

1837 में पहलीबार मद्रास के रेड हिल्स और चिन्ताद्रीपेठ के बीच स्टीम से चलने वाली ट्रेन को चलाया गया था.इस ट्रैन को सर आर्थर कॉटन ने बनाया था. ये ट्रेन सिर्फ ग्रेनाइट के पत्तर को ट्रांसपोर्ट करने के लिए काम आते थे.

1845 में मद्रास रेलवे और  ईस्ट इंडिया रेलवे कम्पनीज के रूप में बनगयी. 1853 में पहली पैसेंजर ट्रैन बॉम्बे और ठाणे के बीच चली थी. इस ट्रैन को 3 स्टीम इंजिन्स से चलाया गया था.

वक़्त के साथ ट्रैन के पटरियों में और ट्रैंस में ट्रैन स्टेशन में बदलाव किये गए. आज के ज़माने में ऐसे ट्रैंस बनाए गए जिसमे AC भी है और स्पीड में बहुत आगे है.

भविष्य में शायद ऐसे ट्रैंस बनाये जायेंगे जिसमे बैठ कर हम बड़े से बढ़ा सफर को भी कुछ मिनट्स में पूरा करसकते है.

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