एयरप्लेन का आविष्कार किसने किया – Who Invented Airplane in Hindi ?

शुरू ज़माने में इंसान अपना सफर एक जगह से दूसरी जगह को तय करने के लिए खुद चलके जाता था.वक़्त के साथ इंसान जानवरों को अपनी सवारियों की तरह इस्तेमाल करना शुरू किया. गाय, घोडा, ऊँट, घोडा जैसे सवारियां इंसान ने इस्तेमाल किया है.

 इंसान अपने हुनर के साथ अपने सवारियों को बिना जानवरों के ही बनना शुरू करदिया जैसा के बाइसिकल, कार, ट्रैन, एयरप्लेन.

इतिहास (History) :

लोग ऊँची जगह जाकर अपने पैरों को हाथों को परिन्दों के जैसे पंख लगाके खुद जाते थे. लोग ऊँची जगह जाकर अपने पैरों को हाथों को परिन्दों के जैसे पंख लगाके कूद जाते थे.

इस तरह से ऊंचाई से खुदने की वजह से बहुत ज़्यादा चोट लगते,कुछ बार तो ऐसा होता के कूद ने वाले मर भी जाते.

पतंग और लालटेन (Kites and Lantern) : 

चीन में ही सबसे पहले पतंग को उड़ाने शुरू किया गया था और साथ में उनको ये चीज़ समझ में आगयी के गर्म हवा ऊपर की तरफ जाती है इसलिए एक पेपर जैसा बलून को बनाया जिसे आज हम लैंटर्न कहते है.

उस ज़माने में लोगों के दिमाग में ये था के उड़ने वाले मशीन बनेगी तो उसे पंख ज़रूर होंगे क्यों की परिन्दे इसी तरीक़े से उड़ते है.  लेओनार्दो डा विन्ची (Leonardo da Vinci) ने भी इसी तरह के पंख वाले कई सारे डिज़ाइन किये थे.

साल 1783 में बैलून का इस्तेमाल बहुत ज़्यादा होने लगा था. दिसंबर के महीने में निकोलस-लुइस रोबर्ट (Nicolas-Louis Robert ) , जैक्वेस  चार्ल्स (Jacques Charles) नामि दो भाईओं ने पहलीबार manned हाइड्रोजन बैलून (manned hydrogen balloon) में सफर किया था.

एयरशिप और ग्लाइडर (Airship and Gliders) :

17 से लेकर 18 वीं शताब्दी तक एयर शिप्स और ग्लाइडर प्लान्स जैसे अलग अलग तरह के प्रयोग किये गए, ये सारे प्रयोग कामियाब तो नहीं हुए लेकिन एयरोप्लेन को बेहतर बनाने के लिए मददगार बने.

एयरशिप लैंटर्न की तरह ही काम करता है लेकिन इसका आकार बहुत बड़ा होता है, और हवा से भी कम वजन वाला हीलियम गैस को इस्तेमाल करके एयरशिप को बनाया गया था. ये कुछ दूरी के लिए ही काम में आते थे.

शुरू में जो ग्लाइडर प्लान्स बनाया था वो किसी आदमी को तो क्या एक छोटी बिल्ली को भी लेकर उड़ नहीं सकता था. ग्लाइडर प्लान्स का लैंडिंग ठीक से न होने के कारण अक्सर टूट जाते थे.

कई सारे साल तक ग्लाइडर प्लान्स पर काम किया, इनकी मेहनत के बाद कुछ फ़ीट तक ही ये प्लेन उडसकता था बस. इन में से कुछ ग्लाइडर प्लान्स को पंख पक्षियों की तरह होते थे.

1842 एरियल स्टीम इंजन का भी आविष्कार किया गया था. साल 1891 में ओटो लिलिएंथल (Otto Lilienthal ) जर्मन के पहले वैज्ञानिक थे जो ग्लाइडर के साथ उड़ा था.

इन्होने अलग अलग तरह के ग्लाइडर्स को बनाया और उसके साथ उड़ा था. इन्हे उस ज़माने में ग्लाइडर किंग या फ्लाइंग मैन के नाम से जाना जाता था. एक ग्लाइडर क्रैश में आयी चोट की वजह से इन की मृत्यु हो गयी थी.

Wright brothers :

साल 1900 में राइट ब्रॉथर (Wright brothers) ने एयरोप्लेन बनाने की कोशिशें अलग अलग तरह के प्रयोग करके शुरू किया था. Wright brothers ने  wind tunnel, wing warping, wooden propellers, combustion engine जैसे तकनीक का इस्तेमाल करके एक ऐसा प्लेन बनाया जो सफलता के साथ उड़सकता था. 

1903 में राइट ब्रदर्स ने अपने प्लेन को उढ़ाया तो बहुत सारे लोगो ने इस नज़ारे को देखा. ये प्लेन ऊंचाई से क्रैश होने के बाद इसके अंदर बदलाव करते गए और फिर उड़ाते गए.

फ्लायर 1, फ्लायर 2, फ्लायर 3  जैसे मॉडल्स के साथ काफी सारे बदलाव करके मॉडर्न एयरोप्लेन जैसा मॉडल को बनाया. वक़्त के साथ काफी बदलाव करने के बाद इसको बेहतर से बेहतर बनाया गया. मिलिट्री भी प्लान्स को इस्तेमाल करना शुरू किया था. विश्वयुद्ध 1 और 2 के समय इन प्लेन्स का बहुत बड़ा दखल था.

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