रॉकेट का आविष्कार किसने किया – Who Invented Rocket in Hindi ?

रॉकेट क्या होता है ?

रॉकेट एक ऐसा वाहन है जो प्रोपल्शन के द्वारा चलता है. रॉकेट की शुरुवात एक तरह से 10 वि सदी से होगया था.

रॉकेट का इतिहास:

आज जो रॉकेट हम इस्तेमाल करते है वो आसमान को चीरकर स्पेस में चलाजाता है. लेकिन जब पहलीबार जब रॉकेट को बनाया गया था शायद किसी ने ये सोंचा नहीं .

रॉकेट की शुरुवात चीन से हुई थी, गनपाउडर की खोज के बाद चीन में एक तरह का बदलाव आगया था. 12 वीं सदी में फायर एरोस (fire arrows) का इस्तेमाल हर जगह आम होने लगा.

जंग में जब चीन फायर एरोस का इस्तेमाल करना शुरू किया तो दूसरे देश भी इस टेक्नोलॉजी को अपनाने लगे. खरीब 12 वीं सदी में मंगोल हर जगह अपनी सल्तनत को भड़ाने लगे, उस वक़्त यूरोप और एशिया को मिलाकर यूरेशिया के नाम से बुलाया जाता था.

फायर एरोस के इस्तेमाल के बाद हात से चलाने वाले रॉकेट्स (हैंड हेल्ड रॉकेट्स) का इस्तेमाल मंगोल की आर्मी ने इस्तेमाल करना शुरू किया था.

14 वीं सदी में कोरिया में एक साथ कई रॉकेट्स को लांच करेवाला डिवाइस “हवचा” को बनाया गया था.

इंडिया में रॉकेट्स का इस्तेमाल :

18 वीं सदी में मैसूर के राजा टीपू सुल्तान के दौर में आयरन कैसेड (Iron cased ) रॉकेट्स का इस्तेमाल करना शुरू किया गया था.

ब्रिटिश आर्मी के पास भी रॉकेट्स मौजूद थे, ये रॉकेट्स ज़्यादा दूर जा नहीं पाते थे. ब्रिटिश आर्मी ने देखा के टीपू सुल्तान के रॉकेट्स आयरन केस की वजह से खरीब 2 किलोमेटर्स की दूरी तक पहुंचरहे है.

टीपू सुल्तान को जंग में हारने के बाद सारे रॉकेट्स को ब्रिटिश आर्मी ने अपने अधीन में करलिया और एडवांस्ड रॉकेट्स कन्ग्रेवे रॉकेट्स (congreve rockets) को बनाने लग गए.

19 वीं सदी में दुनिया के अलग अलग देशों ने रॉकेट को बेहतर से बेहतर बनाने में लग गए. 1844 में विलिअम हेल (wiliam hale) नाम के वैज्ञानिक ने रॉकेट के डिज़ाइन में कंटेड एग्जॉस्ट होल्स (canted exhaust) के द्वारा बदलाव किया,इस बदलाव के बाद रॉकेट एक सीधी दिशा में चलता.

20 वीं सदी में रूस की रॉकेट टेक्नोलॉजी :

20 वीं सदी में लोगों ने देखा के टेक्नोलॉजी हर तरफ बढ़रही है, इसी दौरान लोगों के दरमियान एक सवाल ये भी आया कि कैसे अंतरिक्ष का सफर किया जाये.

रॉकेट टेक्नोलॉजी में बढ़ते हुए सुधार और फिक्शन से भरी कहानियों को सुनने के बाद रूस के कोंस्तांतिन टसिओल्कोवस्की ( Konstantin Tsiolkovsky) नाम के माथेमेटिशन ने 1903 में बताया के रॉकेट को अंतरिक्ष में जाने के लिए इस्तेमाल करसकते है.

रॉकेट के प्रोपेलेंट के लिए लिक्विड हाइड्रोजन और ऑक्सीजन का इस्तेमाल करने का सुझाव दिया.

मल्टीस्टेज रॉकेट्स :

साल 1912 में रॉबर्ट गोडार्ड (Robert Goddard ) ने रॉकेट में पहले किए गए बदलाव को देख कर मल्टिस्टाजे रॉकेट को बनाने का आईडिया दिया.

प्रोपेलेंट के लिए एक छोटासा चैम्बर जो रॉकेट अंतरिक्ष के तरफ धक्का दे, रॉकेट को स्टेजेस में अलग करना जैसे तकनीक को बताने के लिए 1914 में पेटेंट भी मिला था.

दूसरा विश्वयुद्ध :

दूसरे विश्वयुद्ध से पहले और युद्ध के दौरान रॉकेट की टेक्नोलॉजी को खूब इस्तेमाल किया गया था. हर देश अपने अपने एतेबार से रॉकेट्स को बनाना शुरू करदिया था.

पहला अंतरिक्ष रॉकेट :

रूस का सोवियत यूनियन’स स्पेस प्रोग्राम ने अक्टूबर 4, 1957 में सबसे पहले एक साटेलोटे को अंतरिक्ष में भेजा था.

रूस के इस कामियाबी के बाद दुनिया के अक्सर देश चौकन्ना होगये, ख़ास तौर पर USA ने अंतरिक्ष में रॉकेट्स और सटेलिटेस भेने के लिए एक अलग संस्ता को बनाया था.

आज 21 वीं सदी में दुनिया के वैज्ञानिकों की कोशिश ये है के किसी भी तरह से हम मंगल ग्रह तक पहुंचा जाये.

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