चैस का आविष्कार किसने किया – Who Invented Chess in Hindi ?

Image by Pavlofox from Pixabay

Last Updated on January 1, 2021 by Admin

हम सब इंडोर गेम्स खेलते है. इंडोर गेम्स खेलने में ज्यादा मेहनत भी नहीं लगती और मज़ा भी आता है. लेकिन कुछ ही ऐसे गेम्स है जो हमारे दिमाग को काम लगते है. 

चैस एक ऐसा गेम है जिसे दिमाग से खेलना पड़ता है ज़ारीसी चूक भी गेम को बदल देता है.

इतिहास (History) :

इस गेम को सबसे पहले इंडिया में ही खेलना शुरू किया था. खरीब छटी सदी (6th सेंचुरी) में गुप्त साम्राज्य में खेलना शुरू किया गया था.

उस ज़माने में इस खेल को चतुरंगा  के नाम से जाना जाता है. लगभग आज जिस तरह से आज राजा, सेनाधिपति, सिपाही, हाथी और घोडा जिस तरह से है उस वक़्त भी इसी तरह से हुआ करते थे.

एक और दिलचस्प बात ये है की उस ज़माने बादशाह इस गेम को इसलिए भी खेलते थे ताकि जंग लड़ते वक़्त चैस गेम बहुत मदद करता है. जिस तरह जीरो इंडिया से अरब को पहुंचा था उसी तरह चैस भी इंडिया से पहले पर्शिया को पहुंचा था.

मुस्लिम दुनिया में इसे बहुत पसंद करने लगे, बादशाह आपस में बैठके खला करते थे. ईरान से ये खेल जब अरब दुनिया में पहुंचा तो इसका नाम षतरंज बनगया था.

अरब दुनिया से धीरे धीरे पूरे दुनिया में पहलता गया और इसके नियम हर जगह अलग अलग हुआ करते थे. जैसे जैसे चैस एक देश से दूसरे देश को पहुँचता गया तो नियम भी बदलते गए.

इंडिया से पर्शिया :

हम सब ये तो जानते ही है कि पहले ज़माने में संदेश  भेजने के लिए एक दूत को भेजा जाता था. दूत ही एक राजा के संदेश को दूसरे राजा तक पहुंचता था, सात में बहुत सारे तोहफे भी लेकर जाते थे.

एक बार इंडिया से एक दूत पर्शिया गया था तो इस गेम को वहा के राजा को बताया और कहा अगर आप के यहाँ के लोग समझदार है तो इस खेल को खेलकर बताये.

बस वहा  के बोजोरगमेहर (Bozorgmehr) नामी आदमी ने इसे खेलकर बताया और बहुत सारे तोहफे भी उनको दिया गया था.

एशिया में चैस :

एशिया में जो देश है उनको भी इंडिया से बहुत तेज़ी के साथ ये गेम पहुंचा था. चीन की अगर बात करें तो, चैस बोर्ड तो इंडिया के जैसा ही था. चीन के बोर्ड में मोहरों को डब्बों में नहीं रक्ते बल्कि डब्बे के कोनो में रक् कर खेलते थे.

चीन से कोरिया फिर वह से जापान को पहुंचा था. जापान में बहुत सारे नियम को बदल कर खेलने लग गए थे. मॉडर्न चैस के आने के बाद उनका चैस गेम खत्म हो गया. उस वक़्त  एशिया में मंगोल साम्राज्य भी बहुत मज़बूत था और मंगोल में भी लोग इस खेल को खेलने लगे.

उस वक़्त स्पेन में मुस्लिमस हुकूमत करते थे इसलिए स्पाइन को जब चैस पहुंचा तो वह से सारे दुनिया में पहल गया.

मॉडर्न  चैस :

चैस को हर देश अपने अपने हिसाब से खेल्रहे थे इसलिये रूल्स भी अपने हिसाब से बनाने लगे थे. एक एक चाल चलने के लिए घंटों का समय लगा देते.

1861 में लोग पहली बार चैस के गेम में हर चाल को ज़ल्दी करने के लिए रेट की घडी को इस्तेमाल करने लगे फिर पेंडुलम के घडी का इस्तेमाल हुआ. आज के ज़माने में आधुनिक घडी का इस्तेमाल करना शुरू किया गया था.

विश्व युद्ध के बाद (After world war):  

इंटरनेशनल चेस फेडरेशन के स्तापना के बाद टूर्नामेंट्स रखे जाने लगे. धीरे धीरे रूल्स को चेंज करके एक ऐसा खेल को बनाया जिसे आज सारे दुनिया में एक ही रूल्स के साथ खेल सकते है.

Be the first to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published.


*